कुछ लोगों का कहना है कि मानव अधिकार एक ऐसी विचारधारा है जिसे शक्तिशाली पश्चिम ने दूसरों पर थोप दिया है। आलोचकों का कहना है कि परीणामस्वरूप, मानव अधिकार उतने बड़े पैमाने पर नहीं समझा जाता है जितना समझा जाना चाहिए।
परंतु, हमारे मानवाधिकार अभिज्ञता मतदान ने दर्शाया कि विश्व के क्षेत्रों के बीच के अंतर की तुलना में देशों के भीतर का अंतर एक बराबर की, या शायद उससे भी अधिक, चुनौती का कारण है। हमने पाया कि मानव अधिकार जनसाधारण वर्ग की तुलना में एक “उच्च वर्ग” से ज्यादा संबंधित है, हालांकि इस दिशा में कुछ प्रगति देखी जा रही है।
हमने मेक्सिको, कोलंबिया, मोरोक्को और भारत पर अध्ययन किया। इन देशों का चुनाव हमने इनके एकाधिक धर्मों और विश्व क्षेत्रों के लिए किया, और इसलिए क्योंकि यह क्षेत्र मानव अधिकार प्रसार के लिए सर्वश्रेष्ठ परिदृश्य हैं।

Pilot testing the survey in Morocco, September 2012. Dr. David Crow. All rights reserved.
परंतु, आँकड़ों ने दिखाया है कि हमारी सर्वेक्षत आबादी में, मानव अधिकार भाषा, लोग और गतिविधियां निम्न वर्ग की तुलना में कुलीन वर्ग में बेहतर रूप से स्थापित हैं।
दुर्भाग्यवश, इसका अर्थ है कि जिन लोगों को मानव अधिकार के आदर्शों से सबसे अधिक लाभ पहुँचना चाहिए—ग़रीब, शक्तिहीन और मज़लूम— और िजन्हे़़ं इनकी सबसे अधिक आचश्यकता हैं उनकी उन मानव अधिकारों के साधनों तक कम पहुँच होती है।
इस समस्या का हल निकालने के लिए, घरेलू मानव अधिकार के कार्यकर्ताओं को अपने प्रयास दुगुने करने पड़ेंगे और स्थानीय रूप से उचित होने के लिए नए तरीके तलाशने होंगे।
हमारा प्रमाण
इस अनूठी जानकारी को एकत्रित करने के लिए, हमने चार देशों में (मेक्सिको, दोनों अमेरीका, और विश्व सर्वेक्षण परियोजना के भाग के रूप में मेक्सिको और कोलंबिया में, जिसका समन्वय उच्च मेक्सिकन अनुसंधान संस्थान, सीआईडीई ने किया था) जनता से मतदान लिया था, और बहुत जल्द ही इस अनुसंधान का विस्तार ब्राज़ील में भी करेंगे।
इस प्रकार के सर्वेक्षण दुर्लभ हैं। मतदानकर्ता नियमित रूप से आबादी का सर्वेक्षण सभी चीज़ों पर करते हैं, उनके राजनीतिक विचारों से लेकर उनके टूथपेस्ट की पसंद तक, और यहाँ तक कि लोगों के युद्ध के बाद के माध्यमिक न्यायिक वरीयताओं के बारे में भी पूछते हैं। परंतु, अभी भी आम जनता से उनके देशों के मानव अधिकार आंदोलनों के अनुभवों के बारे में पूछना बाकी है।
मेक्सिको में, हमने पूरी जनता के साथ देश के “शक्तिशाली कुलीन वर्ग” का भी सर्वेक्षण किया: व्यापारिक कार्यकारी, निर्वाचित अधिकारीगण, उच्च पद के नौकरशाह, पत्रकार और शैक्षिक-संबंधित व्यक्ति।
मानव अधिकारों के प्रसार के लिए मेक्सिको सर्वश्रेष्ठ परिदृश्य है क्योंकि इसकी आबादी दूसरों की तुलना में अधिक धनवान, अधिक शिक्षित, और वैश्विक विचारों से अधिक परिचित है। यह लैटिन अमेरिका में स्थित भी है, जो वैश्विक मानव अधिकार आंदोलनों के लिए ग्राउन्ड ज़ीरो माना जाता है, और एक बहुत ही क्रूर नशीले पदार्थों के युद्ध से ग्रस्त है जो व्यापक रूप से मानव अधिकारों को हानि पहुँचा रहा है।
हमारे कोलंबियन अनुसंधान ने देश की वयस्क आबादी का भी नमूना लिया, जिनमें से कई अपनी लैटिन अमेरिकी पहचान और अपने देश की कई दशकों की हिंसा के अनुभवों के कारण मानव अधिकारों की बातचीत से अनजाने नहीं हैं।
मोरोक्को के अध्ययन में रबाट और कैसाब्लांका की पूरी वयस्क आबादी, जिन्हें देश की राजनीतिक और वित्तीय राजधानी माना जाता है, और साथ ही दोनों शहरों से 70 किलोमीटर की दूरी तक के ग्रामीण निवासियों का भी नमूना लिया।
मोरोक्को के लोग मेक्सिको और कोलंबिया के लोगों की तुलना में अधिक ग़रीब और कम शिक्षित हैं, परंतु इसके मानव अधिकारों के कार्यकर्ता बहुत ही प्रभावशाली रूप से ऊर्जावान हैं। इसके अलावा, अरबी स्प्रिंग ने मानव अधिकारों के मामलों में स्थानीय रुचि को बढ़ावा दिया है, जो मोरोक्को को मानव अधिकारों के प्रसार के लिए एक अन्य श्रेष्ठ परिदृश्य बनाता है।
भारत में, हमने मुंबई के निवासियों का, जो देश की व्यापारिक राजधानी मानी जाती है, और साथ ही महाराष्ट्र राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों का नमूना लिया। भारत की आबादी लैटिन अमेरिका के दोनों ही देशों की तुलना से कम शिक्षित है, परंतु देश जोशपूर्ण ढंग से प्रजातांत्रिक है, और साथ ही इसका मानव अधिकारों का एक क्षेत्र है जो मानव अधिकारों पर आधारित विद्रोहों के कई दशकों से गहराई से प्रभावित है।
तो हमने क्या पाया?
मानवाधिकार एक्सपोज़र
जैसा कि आकृति 1 दर्शाती है, आम जनता की तुलना में मेक्सिको के कुलीन वर्ग का अपने दैनिक जीवन में “मानव अधिकार” शब्द से वास्ता अधिक होता है (स्पेनिश में डेरेशोस ह्यूमानोस)। मेक्सिको के कुलीन वर्ग की 90% की भारी संख्या ने यह सूचित किया कि वह इस शब्द को रोज़ या अक्सर सुनते हैं, जबकि आम जनता के केवल 40% संख्या के करीब लोगों ने यह कहा।

फिर भी 40% भी एक बड़ी संख्या है। मेक्सिको की 71.7 मिलियन वयस्क आबादी के साथ, तकरीबन 28.7 मिलियन मेक्सिको निवासियों का अपने दैनिक जीवन में डेरेशोस ह्यूमानोस शब्द से वास्ता पड़ता है। बिल्कुल भी बुरा नहीं है! मानव अधिकार का शब्द मेक्सिको के उच्च-स्तरीय वर्ग को तो िभगो ही रहा है, परंतु, इसके निम्न वर्ग तक अभी कुछ ही नमी पहुँच रही हैं।
इसके बाद, कोलंबिया पर ध्यान दें। जैसा कि आकृति 2 में देखा जा सकता है, कोलंबिया के वयस्कों की 49% संख्या नियमित रूप से डेरेशोस ह्यूमानोस शब्द को सुनते हैं, जो यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र के मानवाधिकारों की सक्रियतावाद के लंबे इतिहास के कारण दोनों ही देश एक विशाल लैटिन अमेरिकी ढांचे का हिस्सा हैं।
हमारे मोरोक्को के सर्वेक्षण ने और बड़ी संख्याओं को उजागर किया। देश के दो श्रेष्ठ शहर, रबाट और कैसाब्लांका में और इनके आसापास 54% वयस्कों ने फ्रेंच, ड्रॉएट्स डे ला होमे, या अरबी, हूकूक अल इन्सान (حقوق الإنسان) को सुनने के बारे में सूचित किया। यह इस देश के मानव अधिकारों के कार्यक्षेत्र के लिए एक विशाल विजय है, जिसने इस चिंता को जनता के एजेंडा पर रखने के लिए एक कड़ी लड़ाई की है।
परंतु, हमारे भारतीय सर्वेक्षण ने उससे बहुत कम पहुँच पाई। देश के वित्तीय केंद्र, मुंबई और उसकी आसपास की आबादी के केवल 20% हिस्से ने हिन्दी के मानव अधिकार के शब्द या मराठी के मानवी अधिकार शब्द को नियमित रूप से सुनने के बारे में सूचित किया।

संपर्क
“मानव अधिकारों” तक सरल पहुँच लोकप्रिय भागीदारी का केवल एक ही सूचक है, परंतु, स्थानीय मानव अधिकारों के संगठनों के सदस्यों के साथ संपर्क यकीनन ही एक बेहतर तरीका है।
यहाँ पर, मेक्सिकन कुलीन वर्ग और जनता के बीच का अंतर और अधिक है। जैसा कि आकृति 3 में देखा जा सकता है, मेक्सिकन कुलीन वर्ग के 86% की बड़ी संख्या ने यह सूचित किया कि वह मानव अधिकारों के संगठन में कार्य करने वाले किसी व्यक्ति से मिले हैं, परंतु आम जनता के लगभग 90% लोगों ने इससे विपरीत सूचित किया।
यह अंतर इस बात का एक शक्तिशाली प्रमाण प्रदान करता है कि मेक्सिको के मानवाधिकार कार्यकर्ता ऊपरी सामाजिक और आर्थिक वर्ग में एकत्रित रहते हैं। हो सकता है कि यह समर्थक अपने समाजिक वर्ग के असंतुष्ट स्वधर्मत्यागी हों—एक मानव अधिकारों के "अग्र-दल"—परंतु यह फिर भी शक्तिशालियों के सामाजिक वर्गों को आबाद करते हैं।

और यहाँ पर भी गिलास आधा ही भरा हुआ है, क्योंकि मेक्सिको की आम जनता का 11% हिस्सा किसी मानवाधिकार कार्यकर्ता से जीवन में एक बार मिल चुका है। पूर्णतया देखा जाए तो यह एक छोटी संख्या नहीं है, और इसका अर्थ आठ मिलियन साधारण मेक्सिकन लोगों से है। एक तरह से देखा जाए, तो यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
इस मुद्दे पर कोलंबिया का इतिहास मेक्सिको से कहीं अधिक बेहतर है, क्योंकि इस देश की 18% वयस्क आबादी संपर्क के बारे में सूचित करती है (आकृति 4 देखें)। 7% पर रबाट और कैसाब्लांका तीसरे स्थान पर थे, और मुंबई बिल्कुल पीछे रह गया जहाँ राय देने वाले निवासियों में से केवल 1% ने ही यह सूचित किया कि वह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता से मिल चुके हैं। मानवाधिकार के सभी क्षेत्रों के लिए बहुत काम करना बाकी है, परंतु मुंबई, रबाट और कैसाब्लांका की आवश्यकताएं विशेष रूप से ग़ंभीऱ हैं।

भागीदारी
मानवाधिकार गतिविधियों में भाग लेना लोकप्रिय भागीदारी का एक अहम सूचक है, और एक बार फिर, हमारे आँकड़ें यह प्रमाणित करते हैं कि मानवाधिकार ऊपरी स्तरों पर एकत्रित हैं।
जैसा कि आकृति 5 में दिखाया गया है, मेक्सिको में 31% से अधिक कुलीन वर्ग यह सूचित करते हैं कि वह किसी प्रकार की संगठित मानवाधिकार गतिविधि में भाग लेते हैं, परंतु यह बात मेक्सिको की आम जनता के केवल 4% के लिए ही सही है। जैसा कि आकृति 6 दिखाती है, कोलंबिया और मुंबई का रिकॉर्ड भी मेक्सिको से मिलता-जुलता है, जब कि रबाट और कैसब्लांका पीछे रह जाते हैं। इन अंतरों का कारण फौरन स्पष्ट नहीं होता है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि मानवाधिकार आंदोलन तक पहुँच, इससे संपर्क और इसमें भागिदारी को बीच कोई बहुत सहसंबद्धता नहीं है। मानवाधिकार कार्यों के इन प्रत्येक क्षेत्रों की अपनी ही चुनौतियां और अवसर हैं, और जो राष्ट्रीय मानव अधिकार समुदाय एक क्षेत्र में अच्छा काम करती हैं, आवश्यक नहीं है कि दूसरों में भी अच्छा करें।

सांख्यिकीय विश्लेषण
हम अपना मेक्सिकन कुलीन वर्ग का नमूना कहीं और नहीं उत्पन्न कर पाए, क्योंकि वह एक दशक से किए गए अनुसंधान पर आधारित था। परंतु, सांख्यिकीय विश्लेषण यह दिखाता है कि सभी चार देशों में, मानवाधिकार के संगठन लोकप्रिय वर्गों को कार्यप्रवृत्त करने की तुलना में कुलीन वर्ग को शामिल करने में बेहतर हैं।
उदाहरण के तौर पर, सभी नमूनों में, अधिक शिक्षित लोग “मानव अधिकार” के शब्द को ज़्यादा सुनते हैं, और मेक्सिको, कोलंबिया और मोरोक्को के रबाट और कैसाब्लांका में अधिक शिक्षित लोगों की मानवाधिकार के कार्योकर्ताओं से संपर्क में आने की अधिक संभावना है। मुंबई में और महाराष्ट्र राज्य के गृामीण कगृामीण्षेत्रों में भी, बेहतर शिक्षा वाले लोगों द्वारा मानवाधिकार की गतिविधियों में भाग लेने की संभावना अधिक है। ठीक इसी तरह, अधिक धनवान (जिसे आय और घर में बल्बों और कमरों की संख्या दोनों से मापा जाता है) लोगों का कोलंबिया, मुंबई और रबाट/कैसाब्लांका में मानवाधिकार के बारे में सुनने की; कोलंबिया और रबाट/कैसाब्लांका में मानवाधिकार के कार्यकर्ता को जानने की; और रबाट/कैसाब्लांका में मानवाधिकार की गतिविधियों में भाग लेने की संभावना अधिक है।
इसी तरह विविध सामाजिक प्रभावों तक अधिक पहुँच वाले लोगों का मानवाधिकार तक अधिक एक्सपोज़र होता है। मेक्सिको और मुंबई में शहरी क्षेत्रों के निवासियों का मानवाधिकार के बारे में सुनने की अधिक संभावना है, और कोलंबिया और मुंबई के इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की मानवाधिकार तक अधिक एक्सपोज़र, और मानवाधिकार के कार्यकर्ताओं से अधिक संपर्क होता है। रबाट और कैसाब्लांका में, इनकी मानवाधिकार की गतिविधियों में भाग लेने की अधिक संभावना है।
राजनितिक रूप से सक्रिय लोगों—मतदाता—में भी कोलंबिया, मुंबई और रबाट/कैसाब्लांका के हमारे नमूनों में मानवाधिकार के प्रति उच्च एक्सपोज़र के दर, और कोलंबिया में संपर्क के उच्च दर होते हैं। सभी देशों में मतदान भी आर्थिक और शैक्षिक रूप से बेहतर स्थित लोंगों में पाया जाता है।
इसके विपरीत, अधिकारहीन समूहों की, जिनमें भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं, मानवाधिकार के चक्र में रहने की संभावना कम होती है। कोलंबिया और मेक्सिको में स्वदेशी समूह (मेक्सिको की अन्य जातीय अल्पसंख्यक समूह भी), और मुंबई के मुसलमान मानवाधिकार के बारे में कम सुनते हैं। इसके अलावा, मेक्सिको के स्वदेशी समूहों का मानवाधिकार संगठनों में भाग लेने की कम संभावना है।
निश्चित रूप से, कुछ अपवाद हैं; कुछ मामलों में अधिकारहीन समूहों को मानवाधिकारों तक अधिक पहुँच प्राप्त हो रही है।
उदाहरण के तौर पर, मुंबई में, बौद्ध धर्म के लोग, जो एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह है, “मानव अधिकार” का वाक्यांश हिन्दू बहुमत से अधिक सुनते हैं, शायद दलितों (अछूत) के बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्म में धर्मांतरण के कारण। मोरोक्को के अमेज़िग (बरबर) लोगों का रबाट/कैसाब्लांका में मानवाधिकार तक जातीय अरबों की तुलना में अधिक पहुँच है, शायद अमेज़िग गर्व आंदोलन के कारण।
और मुंबई और कोलंबिया में पहुँच और आय के बीच का संबंध “यू के आकार” का है। जो बहुत धनवान हैं उनकी मानवाधिकार तक पहुँच मध्यम वर्ग से अधिक है, परंतु यह उनमें भी देखा जाता है जो सबसे अधिक ग़रीब हैं।
हमारे अनुसंधान ने यह भी पाया कि कुलीन वर्ग के कुछ लोग मानवाधिकार के आदर्शों से परिचित होने के बावजूद उनको अस्वीकार करते हैं। उदाहरण के तौर पर, कोलंबिया का बेहतर रूप से शिक्षित वर्ग और साथ ही मेक्सिको के मतदाता और शहरी निवासी, मानवाधिकार की गतिविधियों में उन लोगों से कम भाग लेते हैं जो कम शिक्षित हैं, वोट देने से बचते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, हालांकि उनका मानवाधिकार की शब्दावली से अधिक वास्ता होता हैं, और उनका मानवाधिकार के कार्यकर्ताओं से अधिक संपर्क है। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो पहुँच और संपर्क का अर्थ स्वीकृति भी हो यह आवश्यक नहीं है।
निष्कर्ष
हमारा अनुसंधान इस विचार का समर्थन करता है कि मानव अधिकार—अभी के लिए—एक कुलीन वर्ग में केंद्रित गतिविधि है। सिद्धांतों के नज़रिए से मानवाधिकार के मुख्य निर्वाचन क्षेत्र ग़रीब, अधिकारहीन, और मज़लूम हैं। परंतु, वास्तविकता में, यह वह समूह नहीं है जहाँ पर घरेलू मानव अधिकार कार्यकर्ता कोई बड़ा स्थान बनाने में सफल रहे हैं।
इसके अलावा, कुलीन वर्ग से सुपरिचय और मानव अधिकारों से संपर्क अच्छे कर्मों और इरादों की गारंटी नहीं देता है। कुलीन वर्ग अक्सर ही मानवाधिकारों की समस्याओं का स्रोत होता है, और हमारे पास इस बात का कोई भी मज़बूत प्रमाण नहीं है कि मानव अधिकार पहुँच इनकी सार्वजनिक नीतियों की वरीयताओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। बल्कि, हमारे प्रमाण यह दर्शाते हैं कि कुलीन वर्ग मानव अधिकारों के बारे में केवल बातें करते हैं और अपना काम आमतौर की तरह से जारी रखते हैं।
परंतु, हमारी खोजों से अफ़सोस नहीं होना चाहिए। पहली बात यह है कि और अधिक बड़े पैमाने पर प्रसार की आशाजनक निशानियां हैं; कुछ स्थानों में कुछ सूचकों पर मानवाधिकार के समूह संपर्क करने और विचारों का विस्तार करने में बेहतर काम कर रहे हैं।
इससे भी अधिक महत्पूर्ण बात यह है कि हमारे सर्वेक्षण एक समय का केवल एक ही स्नैपशॉट प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, मानव अधिकार कार्यप्रवृति एक लंबी-अवधि की प्रक्रिया है। कुछ समय के बाद हो सकता है कि घरेलू मानवाधिकार कार्यकर्ता अपने ऊपरी वर्ग की सीमा से आगे बढ़ जाएं, और अपने देश के लोकप्रिय वर्ग के भीतर अधिक मज़बूत रास्ते बना सकें।
परंतु, इसे करने के लिए, मानव अधिकार के संगठनों को शायद नई और बेहतर कार्यप्रवृत रणनीतियों का विकास करना होगा।

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